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Writer's pictureDharmraj

तय अच्छाई



यह फूल क्यूँ खिलते हैं

वह आकाश नीला क्यूँ है

पिता तुम पिता क्यूँ हो

नन्हे बालक के सैकड़ों प्रश्नों पर

मुस्कुराते पिता ने गोद में उठाकर उसकी आँखों में झाँका

धीमे से कहा अच्छाई से

अच्छाई से!

अच्छाई क्या होती है? बेटे ने पूछा

पिता चुप हो गया

उसने आँखें मूँद ली

कुछ देर बाद बेटे ने फिर पूछा पिता

अच्छाई क्या होती है?

पिता ने अपनी डबडबा आई आँखें खोली

पर कुछ कह न सका

बेटे ने कहा पिता रहने दो

आप बुरा न करो

मैं समझ गया

अच्छाई तय करना बुराई है

पिता ने फफककर बेटे को गले लगा लिया

धर्मराज

18 January 2023


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